Shri Aranyakanda
(Shri Ramcharitmanas)

Shri Aranyakanda <br/>(Shri Ramcharitmanas)
श्री अरण्यकाण्ड श्री रामचरित मानस का तृतीय अध्याय है।
भक्ति, समर्पण, करुणा एवं ज्ञान पक्ष को इस काण्ड में अति सुन्दरता से अभिव्यक्त किया गया है।
इस सीडी में विभिन्न प्रसंगों के भावना स्वरूप चैपाई एवं दोहों को गंर्धववेद की अलग-अलग रागों-आसावरी, भैरवी, बिहाग, बृन्दावनी सारंग, भूपाली, देस, हमीर, हन्सध्वनि, कलावती, कल्याण, खमाज, मारवा, सोहनी, तिलक कामोद और रामायण की परम्परागत धुनों में स्वरबद्ध किया गया है।
श्री अरण्यकाण्ड का पाठ अथवा श्रवण धर्म, अनन्त आनन्द, शांति, भक्ति और समर्पण की भावना का प्रवाह करता है।

भाग-१ ०१:१० ११
भाग-२ ०१:०८:०६
भाग-३ ००:५५:२३

गायक: पंडित लक्ष्मीकांत कांडपाल
Shri Aranyakanda is the third chapter (kanda) of Shri Ramcharitmanas.
Devotion, dedication, compassion and knowledge aspects are expressed very beautifuly in Shri Aranyakanda.
In this recording (CD), the various sections or topics treated in the Aranyakanda are composed in different Ragas of Gandharva Veda, such as Asawari, Bhairvi, Bihag, Brindavani, Sarang, Bhupali, Des, Hameer, Hansdhwani, Kalawati, Kalyan, Khamaj, Marwa, Sohni, Tilak Kamod, as well as in traditional melodies associated with the Ramayana. These various melodies reflect the corresponding moods or qualities expressed in the text.
Reciting or listening to the Aranyakanda confers righteousness, infinite bliss, peace, waves of devotion and dedication.

Volume-1 01:10:11
Volume-2 01:08:06
Volume-3 00:55:23

Singer: Pundit Lakshmikant Kandpal
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