यह पुस्तक महर्षि जी द्वारा २६ मई १९८६ को महर्षि नगर, नोयडा, भारत में दिये गये प्रवचनों का संपादित आलेख है। महर्षि जी ने कहा था कि उनकी परम इच्छा है कि वे भारत को सर्वोच्च शक्तिशाली राष्ट्र बनायें और उनकी इस इच्छा के आधार में भारत को सर्वोच्च शिखर पर पहुँचाने की छमता है जो कि भारत के सर्वोच्च सनातन, शाश्वत् वैदिक ज्ञान में समाहित है।