वर्ष 2017 परम पूज्य महर्षि महेश योगी जी का जन्म शताब्दी वर्ष है। बाल्यकाल से लेकर महासमाधि और
उसके बाद के नौ वर्ष, कुलमिलाकर सौ वर्ष समयचक्र के लिये महत्वपूर्ण वर्ष रहे हैं, यदि ऐसा कहें तो कोई
अतिशियोक्ति नहीं होगी। बचपन से धार्मिक परिवार का वातावरण, आध्यात्मिक विचारधारा, एक सक्षम गुरु
से अल्पकाल में वेद विद्या और वेदान्त की गूढ़ता को आत्मसात करके विश्व के प्रत्येक व्यक्ति और समस्त
राष्ट्रों के कल्याणार्थ ज्ञान और साधना पर आधारित जीवनोत्थान के कार्यक्रम बना देना और फिर उन्हें लागू करने
के संकल्प के साथ अकेले ही सारी धरा को नाप लेना, पूरे वैदिक वांगमय या आधुनिक इतिहास में ऐसा कोई
दूसरा उदहारण नहीं है। शायद इसे ही कहते हैं "न भूतो न भविष्यति"।