महर्षि महेश योगी की ५० वर्षो की उपलब्धियाँ- १९५७ से २००८
वर्ष 1957 के सौभाग्यशाली वर्ष को महर्षि जी के विश्वव्यापी "भावातीत ध्यान आंदोलन" के शुभारम्भ वर्ष के रूप में मनाया जाता है, किन्तु महर्षि जी के शब्दों में इस आंदोलन का वास्तविक प्रारंभ तो उनके प्रिय गुरु परम् पूज्य ब्रह्मानंद सरस्वती जी महाराज अनन्तश्री विभूषित जगत्गुरु शंकराचार्य ज्योतिष्पीठाधीश्वर बद्रिकाश्रम हिमालय की आनंदपूर्ण एवं अनंत शान्त चेतना से हुआ था। गुरुदेव को वैदिक ज्ञान-विज्ञान के साक्षात् स्वरूप में स्वीकार किया जाता है। उनके सानिध्य में महर्षि जी ने वैदिक गुरुओं की प्राचीन परंपरा के अनुरूप जिसमें गुरु से शिष्य को ज्ञान प्राप्त होता रहा है, इस महान ज्ञान को प्राप्त किया है ।
The auspicious year of 1957 is celebrated as the inaugural year of Maharishi's worldwide Transcendental Meditation Movement, but Maharishi has explained that the Movement truly began in the blissful, infinite silence of his Master, Shri Guru Dev, Maha Yogiraj, His Divinity Brahmanand Saraswati Maharaj, Jagatguru Bhagavan Shankaracharya of Jyotir Math, Badrikashram, Himalayas. Guru Dev is revered as the embodiment of Vedic Wisdom closest to Maharishi in the great Tradition of Vedic Masters who have passed down the eternal wisdom of life from teacher to student since time immemorial.