आंतरिक और बाह्य जीवन - बैंक और बाजार

आंतरिक और बाह्य जीवन - बैंक और बाजार
हमारा उद्देश्य संसार में आध्यात्मिक पुनरुत्थान लाना अर्थात् संसार के सभी मनुष्यों में आत्मा के मूल्यों की पुनः स्थापना करना है । आत्मा का स्वरूप है विशुद्ध चेतना, अखण्डानन्द, अखण्डानन्द की चेतना जो समस्त प्रज्ञा का स्रोत, आनन्द का सागर एवं शाश्वत जीवन है इसी को प्रत्येक मनुष्य के जीवन में केवल बुद्धिमत्ता पूर्ण शब्दों से नहीं वरन् उनके व्यावहारिक दैनिक जीवन में भी लाना ही हिमालय से बाहर आने का हमारा उद्देश्य है । गुरुदेव (स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती जी महाराज, शंकराचार्य (1941-1953) ज्योतिष्पीठ, बद्रिकाश्रम, हिमालय) की कृपा से हमें एक सरल युक्ति मिली जिसमें कि अपने आन्तरिक मन को आध्यात्मिक स्तर की ऊंचाइयों पर स्थापित किया जा सकता है और इसी को प्रत्येक मानव के जीवन में लाने के लिये हम आये हैं । जिस तरह आप लोग किसी को मार्ग दर्शन के लिए खोज रहे थे उसी तरह हम भी ऐसे ही लोगों को खोज रहे थे जो हमारे पास आयें और हम लोग यहां मिल गये ।
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