शरीर को नहीं आत्मा को सजाएँ | हमारी मानसिकता बाहरी आडम्बर की और अधिक आकर्षित होती है बनिस्बत आत्मा की सुंदरता के | एक मधुमक्खी अपनी मृत्यु के पश्चात अपने जीवन काल में स्वयं के द्वारा एकत्रित किया गया बहुमूल्य शहद छोड़ जाती है किन्तु फिर भी तितली को पसंद किया जाता है |